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तुम्हारा हाथ थाम तुम्हारा हाथ थाम कर कदम मैंने बढ़ाया था मुझको क्या खबर तुम मजबूर होके आए थे अपने मन की उलझनों को क्यूं ना बताया था जो पहली दफा ...